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विज्ञान इस बात को सिद्ध कर चूका है की हमारे मस्तिष्क पर एक बार जिस वस्तु का बिम्ब बन जाता है, वह कभी नष्ट नही होता । आमतौर पर जिसे हम सभी सब भूलना कहते है, वह किसी जानकारी का खत्म हो जाना नही होता, बल्कि उस जानकारी का ग़ुम हो जाना होता है । वह जानकारी हमारे दिमाग में तो है, लेकिन फ़िलहाल हमे मिल नही रही है । मिल इसलिए नही रही है, क्योंकि हमने रखते वक़्त बहुत ध्यान नही दिया था । मिल इसलिए नही रही है, क्योंकि एक बार रख देने के बाद हमने दोबारा उसे ढूंढने की कोशिश नही की, क्योंकि उसकी जरूरत ही नही पड़ी ।
विस्मृति(Forgetfulness) ठीक उसी तरह है, जिस तरह हम अपनी कोई छोटी-सी चीज घर में कहीं रखकर उसे भूल जाते है । जब जरूरत पड़ती है, तो उसे ढुँढनें के लिए मारामारी मच जाती है, लेकिन वह मिल नही पाती । है वह चीज वहीँ, लेकिन मिल नहीं रही है और आपने देखा होगा की अचानक एक दिन वह मिल भी जाती है ।
भूलने से निराश न हो । यह कोई बीमारी नही है । यह कोई अवगुण नही है । यह दिमाग की कमजोरी भी नही है । यह मुख्यतः हमारी सतर्कता से जुड़ी हुई बात है । जिन कामो को हम सतर्क होके करते है, वे काम लम्बे समय तक याद रहते है और जिन कामो को हम यूँ ही कर देते है, वे यदि यूँ ही गायब भी हो जाते है, तो फिर भला उसका का क्या दोष और दोष आपका भी नही है । ऐसा इसलिए, क्योंकि ऐसा होता ही नही है की हम सारे ही कामो को पूरी सतर्कता के साथ कर सके । यही कारण है की हमारा मस्तिष्क हर दिन की लगभग 95 प्रतिशत सूचनाओ को मिटा देता है ।
तो फिर सवाल यह है की इसके लिए दोषी कौन है ? असल में इसके लिए दोषी है - हमारी कार्यप्रणाली । मान लीजिये हम पढाई करने के बाद भी भूल जाते है तोे उसमे गलती यह होती है की पढ़ते समय जिन चीजो को हमे प्राथमिकता देनी चाहिए, हम उन्हें प्राथमिकता न देकर फालतू की चीजो को प्राथमिकता देने लगते है । अगर आप इतिहास पढ़ रहे है, तो चूँकि इतिहास की किस्से- कहानियां आपको अच्छे लगते है, इसलिए आप उसे प्राथमिकता दे देते है । कहानियां तो याद हो जाती है, लेकिन हम ये भूल जाते है की अकबर किस सन् में शासक बना था या फलन युद्ध कहाँ हुआ था । इसलिये आप विश्वास रखिये की यदि आप पढ़ते समय या किसी की बात को सुनते समय अपनी प्राथमिकताओं को ठीक कर ले, तो भूलने के संकट से मुक्त हो जायेंगे । यह तो थी उसी तरह से है, जैसे आप अलमारी में उन किताबो को और कपड़ो को सामने लगाते है, जिनकी आपको ज्यादा जरूरत पड़ती है । जिनकी शायद ही कभी जरूरत पड़ेगी, उन्हें आप अलमारी के सबसे ऊपर के खाने के सबसे पीछे रख देते है, जिन्हें निकालने के लिए आपको स्टूल पर चढ़ना पड़ता है। इसी प्रकार दिमाग को भी कम प्राथमिकताओं वाली बातो को याद रखने के लिए अलग से मेहनत करनी पड़ती है । विश्वास कीजिये की विस्मृति(Forgetfulness) इससे अधिक और कुछ नही है ।
एक बात और ! भूलना अभिशाप नही है । यह तो वरदान है ।
हाँ आपने सही पढ़ा वरदान ! आप खुद सोचकर देखिये की हमारी जिंदगी में जितनी भी बाते होती है, यदि वे सारी बाते हमे याद रहे, तो क्या हैं हम आगरा के प्रसिद्ध पागलखाने में भेजे जाने योग्य नही हो जायेंगे ? हमारे दिमाग में बहुत-सी अच्छी बाते याद रहती है.तो बहुत सी बुरी बाते भी । कुछ कड़वे अनुभव होते है तो कुछ मीठे भी । यदि ये सारे कड़वे अनुभव हमे याद रहे, तो क्या हमारा दिमाग करेले के पानी जैसा कड़वा नही हो जायेगा ? निश्चित है की ऐसा ही होगा । इस बात पर संदेह मत किजिये कि याद रखने की अपेक्षा भूलना कहीं अधिक मुश्किल होता है और चाहकर भूलना तो और भी ज्यादा मुश्किल होता है, क्योंकि जब आप किसी बात को भूलना चाहते है, तो इसके लिए आप उस को पहले याद करते है और इस प्रकार भूलने को जगह उसे याद कर बैठते है । फलस्वरूप वह लगातार याद होती चली जाती है । प्रख्यात पार्श्व गायक स्वर्गीय मुकेश का गाया एक गीत भी है, जिन्हें हम भूलना चाहे, वो अक्सर याद आते है ।
हाँ आपने सही पढ़ा वरदान ! आप खुद सोचकर देखिये की हमारी जिंदगी में जितनी भी बाते होती है, यदि वे सारी बाते हमे याद रहे, तो क्या हैं हम आगरा के प्रसिद्ध पागलखाने में भेजे जाने योग्य नही हो जायेंगे ? हमारे दिमाग में बहुत-सी अच्छी बाते याद रहती है.तो बहुत सी बुरी बाते भी । कुछ कड़वे अनुभव होते है तो कुछ मीठे भी । यदि ये सारे कड़वे अनुभव हमे याद रहे, तो क्या हमारा दिमाग करेले के पानी जैसा कड़वा नही हो जायेगा ? निश्चित है की ऐसा ही होगा । इस बात पर संदेह मत किजिये कि याद रखने की अपेक्षा भूलना कहीं अधिक मुश्किल होता है और चाहकर भूलना तो और भी ज्यादा मुश्किल होता है, क्योंकि जब आप किसी बात को भूलना चाहते है, तो इसके लिए आप उस को पहले याद करते है और इस प्रकार भूलने को जगह उसे याद कर बैठते है । फलस्वरूप वह लगातार याद होती चली जाती है । प्रख्यात पार्श्व गायक स्वर्गीय मुकेश का गाया एक गीत भी है, जिन्हें हम भूलना चाहे, वो अक्सर याद आते है ।
हमारे दिमाग में नई चीजो के लिए जगह बन सके, उसके लिए जरुरी है की हम अपने दिमाग से उन कचरों को निकालकर बाहर फेंक दे, जो बेकार में दिमाग की जगह को घेरे हुए है । भूलने से यही काम होता है फालतू की चीजे निकल जाती है इसलिए याद रखिये की भुलने की प्रक्रिया से मुक्त नही होना है, बल्कि आवश्यक बातो को भूलने की आदत से मुक्त होना है और ऐसा हम कर सकते है -
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अपनाएँ यह उपाय-
सुबह-सुबह सैर पर जाने से दिमाग की कोशिकाओं में शुद्ध वायु का प्रवाह होता है जो मस्तिष्क में रक्त संचार को बढ़ाता है, तो मस्तिष्क को तनाव मुक्त करता है और याददाश्त की क्षमता को बढ़ाता है। दिमाग को चुस्त-दुरुस्त रखने का सबसे आसान उपाय है दिमागी कसरत, जो कई तरह दिमागी खेलों जैसे पजल, सुडोकू, क्रॉस वर्ड आदि के माध्यम से की जा सकती है। यह खेल मेमोरी पवार को बढ़ाते हैं जिससे जगह, नाम आदि आसानी से याद रखे जा सकते हैं।
विधार्थियो के लिए याद रखने के टिप्स-
• पढ़ते समय अपनी प्राथमिकताओं को निर्धारित करके ।
• दिमाग को फालतू की बातो से बचाकर ।
• पढ़ी हुई बातो को बार-बार दोहराकर, और
• पढ़ी हुई बातो लिखकर या किसी की सुनाकर-समझाकर ।
• दिमाग को फालतू की बातो से बचाकर ।
• पढ़ी हुई बातो को बार-बार दोहराकर, और
• पढ़ी हुई बातो लिखकर या किसी की सुनाकर-समझाकर ।
ऐसा करने से उस बात के बारे में हमारे दिमाग में बने हुए बिम्बो पर पड़ी हुई धुल उसी तरह साफ़ हो जाती है, जिस तरह पोलिश किये हुए जूते पर पड़ी हल्की-हल्की धुल । आप जूते पर हल्का सा ब्रश मारते है, जूता फिर झकाझक हो जाता है । हमारे दिमाग के साथ भी यही होता है ।
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