Sunday, September 20, 2015

Thought of the day in hindi : वक्त की नजाकत

thought of the day in hindi

 Thought of the day in hindi
अगर मेंढक को गर्मा गर्म उबलते पानी में डाल दें तो वो छलांग लगा कर बाहर आ जाएगा और उसी मेंढक को अगर सामान्य तापमान पर पानी से भरे बर्तन में रख दें और पानी धीरे धीरे गरम करने लगें तो क्या होगा ?
क्या मेंढक फौरन मर जाएगा ?
जी नहीं.... ऐसा बहुत देर के बाद होगा... दरअसल होता ये है कि जैसे जैसे पानी का तापमान बढता है, मेढक उस तापमान के हिसाब से अपने शरीर को उसके अनुकूल करने लगता है।
पानी का तापमान, खौलने लायक पहुंचने तक, वो ऐसा ही करता रहता है। अपनी पूरी उर्जा वो पानी के तापमान से तालमेल बनाने में खर्च करता रहता है। लेकिन जब पानी खौलने को होता है और वो अपने उच्चतम ताप तक पहुंच जाता है, तब मेढक अपने शरीर को उसके अनुसार समायोजित नहीं कर पाता है, और अब वो पानी से बाहर आने के लिए, छलांग लगाने की कोशिश करता है।
लेकिन अब ये मुमकिन नहीं है। क्योंकि अपनी छलाँग लगाने की क्षमता के बावजूद , मेंढक ने अपनी सारी ऊर्जा वातावरण के साथ खुद को उसके अनुरूप करने में खर्च कर दी है। अब पानी से बाहर आने के लिए छलांग लगाने की शक्ति, उस में बची ही नहीं I वो पानी से बाहर नहीं आ पायेगा, और मारा जायेगा I इस बारे में जरा ठीक से गौर फरमाये की --
* मेढक क्यों मर जाएगा ? * कौन मारता है उसको ?
* पानी का तापमान या गरमी ? या * उसका स्वभाव ?
मेढक को मार देती है, उसकी असमर्थता सही वक्त पर ही फैसला न लेने की अयोग्यता । यह तय करने की उसकी अक्षमता कि कब पानी से बाहर आने के लिये छलांग लगा देनी है।
इसी तरह हम भी अपने वातावरण और लोगो के साथ सामंजस्य बनाए रखने की तब तक कोशिश करते हैं, जब तक की छलांग लगा सकने कि हमारी सारी ताकत खत्म नहीं हो जाती ।
लोग हमारे तालमेल बनाए रखने की काबिलियत को कमजोरी समझ लेते हैं। वो इसे हमारी आदत और स्वभाव समझते हैं। उन्हें ये भरोसा होता है कि वो कुछ भी करें, हम तो सामंजस्य कर ही लेंगे और वो तापमान बढ़ाते जाते हैं।
हमारे सारे इंसानी रिश्ते, राजनीतिक और सामाजिक भी, ऐसे ही होते हैं, पानी, तापमान और मेंढक जैसे। ये तय हमे ही करना होता है कि हम जल मे मरें या सही वक्त पर बाहर कूद निकलें।

सार :-- विचार करें, गलत-गलत होता है, सही-सही, गलत सहने की सामंजस्यता ही हमारी मौलिकता को ख़त्म कर देती है इसलिए न गलत सहे न गलत करे और जब ऐसा कोई मौका आ जाये तो तुरंत सोच विचार कर सही फैसला ले और वहाँ से अपने आप को अलग कर ले अर्थात उस पानी के मेंढक की तरह न करे वरन कूद कर बाहर आ जाये ।

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