Monday, September 21, 2015

Hindi Story - जरूर पढ़े दिल को छूने वाली पोस्ट : सोम संवेदना- 1


hart touching hindi story
दोस्तों आज में आपके साथ शेयर कर रहा हूँ श्री वरुणेन्द्र त्रिवेदी जी लिखी हुई दिल को छूने वाली short hindi story- सोम संवेदना ! उम्मीद है ये short hindi story आपको जरूर पसंद आएगी ! आप वरुणेन्द्र त्रिवेदी से फेसबुक पर भी जुड़ सकते है !

                                  Hindi Story : सोम संवेदना

"भक्क ! ना जाने कहां से चले आते हैं हर चौराहे पर ,, पता नहीं कहां की पैदाइश हैं ,, माँ बाप जब पाल नहीं पाते तो अय्याशी ही क्यूं करते हैं ?"
सुनकर मेरा ध्यान सिग्नल पर मुझसे कुछ दूर खड़ी कार की ओर गया ।
"बाबूजी खाली 25 रुपिया दई देओ ,, अम्मा की दवाई लेएक है ,, उनकर सीना मा दरद है ,, घर मा साबुत रोटी नाय है ,, दवाई कहां से करी ,, 85 रुपिया जमा करे हन सबेरे ते 110 की दवाई है।"
उस 11-12
की लड़की ने अपनी आंखों से मटमैले गालों पर ढरक आए टेसुओं को बांह से रगड़ते हुए कहा ।
वो पढ़ा लिखा "आदमी" पूरी तरह खीझ गया था ,, झटके से नीचे उतरकर उसकी ओर गाली बकता मारने की मुद्रा मे बढ़ा ।
"ओ हैलो ,, भाईसाब ,, छू ना देना ,, बच्चा है ,, गरीब है ,, लेकिन मार खाने के लिए नहीं ,, मदद नहीं कर सकते तो चोट भी मत दो !"
मैने आपा खोकर ना चाहते हुए भी साहब की तेजी से दौड़ती "हैसियत" वाली लग्जरी कार मे एकदम से ब्रेक लगा दिया ,, उस कार मे जो उस बच्ची की "औकत" की साइकिल को टक्कर मारने तेजी से बढ़ रही थी ।
सिग्नल कब ग्रीन हो गया पता ही नहीं चला ,,
वो साहब मुझे घूरते हुए अपनी कार मे बैठे और निकल गए ।
मैने उस लड़की को बुलाया ,,
"इधर आओ ! बैठो पीछे , दवाई दिला देता हूं !"
वो डरी डरी सी आगे बढ़ी और फिर एकदम से सहमकर रुक गई ,
"कोई गलत जगह , गलत काम पर तो ना लै जैहो भैयाजी?"

You are Reading hindi Story- सोम संवेदना

उसके इस प्रश्न ने एक और समाज की बुराई से सामना करा दिया मेरा , लेकिन खुद को सोच से बाहर निकालते हुए मैने फिर कहा ,,
"पगली ! भैयाजी भी बोल रही हो और बेकार का सवाल भी पूछ रही हो ,, भाई समझकर नहीं ,, भाई मानकर बैठ जाओ ।"
वो मुस्कुराकर बाइक पर बैठ गई ,,
"बहुत बड़े आदमी बनिहौ आप भैयाजी एक दिन!"
"अच्छा ? वो काहे ?"
"बस ऐसेई , हमारी दुआ लगिहै!"
"हा हा हा !"
उसको आटा , चावल , दाल तथा दवाई लेकर देने के बाद विदा किया ,, पगली दूर तक हाथ हिलाती गई ,, मुड़ मुड़कर देखती मुस्कुराती रही ,,
और मैं ,, मेडिकल स्टोर वाले की ओर मुखातिब हुआ ,,
"चाचा ! पैसे कमाने के साथ साथ कभी कुछ अच्छे काम भी किया करिए , खुशी मिलेगी , बच्ची के पास 25 रु कम थे लेकिन दवाई तो देनी थी ना आपको !"
"जी भैयाजी ! बिजनेस और पैसे की होड़ ने इंसानियत मार दी ,, अगली बार से कोशिश करूंगा इंसान बन सकूं ।"
You are Reading hindi Story- सोम संवेदना

चाचा ने मुस्कुराते हुए कहा
इस घटना के दो दिन बाद ही फिर उसी रास्ते से गुजर रहा था कि उसकी जानी पहचानी आवाज सुनाई दी ,,
"भैयाजी ओ भैयाजी ,, रुको तनिक!"
बाइक रोककर पीछे मुड़ा तो पाया कि वो ही पगलिया दौड़ती हुई आ रही थी ,,
"क्या हुआ ? अम्मा कैसी हैं अब ?"
"ठीक हैं ,, बहुत ,, हमनेऊ एक बाबूजी के हिंया साफ सफाई को काम चालू कर दओ !"
"अरे वाह! ये तुमने बहुत अच्छा किया  थोड़ा पढ़ना भी शुरू करो ।"
"आप ऊ सब छोड़ो , पइले घरै चलो , अम्मा मिलना चाती हैं !"

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ना जाने क्यूं उसे मना नहीं कर सका और उसे बिठाकर उसके बताए रास्ते उसके घर पहुंचा ,,
उसकी अम्मा अब ठीक थीं , और रोटी सेंक रही थीं , मैं उसके साथ ही उस टीन से ढके कमरे मे झुककर घुसा जिसे वो घर कहती थी ,
उसकी अम्मा रोटी छोड़कर आईं और उनके हाथ मेरे पैरों की ओर बढ़े ,,
"अरे अम्मा ! क्या कर रही हैं , बेटे के समान हूं मैं आपके ,, पाप मे ना डालिए ।"
इसके बावजूद भी वो मुझे खटिया पर बैठाकर खुद नीचे बैठी बैठी दुआओं का अंबार लगाती रहीं और पगलिया कह रही थी ,
"का खिलाई तुमका भैयाजी , आपके खाए लाएक कुछ नाय है घर मा ?"
"क्यूं ये रोटी तो दिख रही है मुझे , मैं नहीं खा सकता , जहर मिलाकर बनाई है क्या अम्मा ने ?"
वो हंसी और दो रोटी तेल नमक मे चुपड़ लाई ,,
वास्तव में , असीम प्रेम था उन रोटिओं में , गजब का स्वाद , जो किसी भी बेहतरीन रेस्तरां के खाने मे नहीं मिलेगा आपको
खैर मैं उठकर बाहर आया और उन दोनो से विदा लेते हुए बाइक स्टार्ट की ,, चलने ही वाला था कि कुछ याद आ गया ,,
"अरे पगली ! नाम क्या है तुम्हारा ?"
"कमली भैयाजी ,, और आपका ?"
मैने बाइक बढ़ाते हुए उसे मुड़कर मुस्कुराते हुए जवाब दिया ,,
"तुम्हारा भैयाजी !" :-)

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मित्रो आपको ये hindi Story सोम सवेंदना कैसी लगी आप हमे कमेंट करके जरूर बताये और अपने दोस्तों के साथ भी इस पोस्ट को शेयर करे ।


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