Friday, September 18, 2015

Hindi Story - एक बच्चे का आत्मसम्मान


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किसी कोठी के गेट पर पङी गाय को खिलाने वाली दो रोटी उस मैले कुचैले बच्चे ने उठा ली है !
मुस्करा रहा है वो, संतुष्ट है, लगता है जैसे पगले ने अरबों की दौलत कमा ली है !!
बहुत छोटी सी सुकुमार उम्र, पर आँखे भीतर को धँसी हुई हैं!


फटी अद्धी शर्ट पैंट देह पर बेतरतीब लटकी,, नहीं नहीं,, फँसी हुई है !! मैने सोचा वो पगला भूखा होगा,,, रोटी मिली है,, शायद अभी बैठकर खाएगा !


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लेकिन ये क्या,,, वो तो रोटियाँ झोले में रख रहा है,,, ना जाने कहाँ ले जाएगा ?? मेरा मन बस इसी प्रश्न का उत्तर जानने हेतु उत्सुक बड़ा था,,, बरबस ही मुख से "ओय" निकल गया और वो डरा-डरा सा मेरी गाड़ी के पास खड़ा था ! वो इतना भयभीत था कि उसका पूरा शरीर कांप रहा था,,, मैं भी उसकी मनोदशा को भली भांति भाँप रहा था ! 


मैंने उससे प्यार से पूछा बेटा इन रोटियों का तुम क्या करोगे,, किसको खिलाओगे ये रोटियाँ और खुद भूखे मरोगे ? पता नहीं कौन सा दर्द भरा था उसके अन्दर ,,, फफक कर रो दिया,,, "साहब घर मे एक साल भर की बहन है और परसो मैने माँ को खो दिया" हे ईश्वर ! हे महाकाल ! ये नन्हा कितना जिम्मेदार कितना दिलेर है,,


 लोग मानते नहीं हैं भगवान पर आपके घर में भी अंधेर है ! कुछ सोचकर , 50 का एक नोट निकालकर उसकी ओर बढ़ाया ,, वो बोला , ना साहब ! अगर भीख मांगकर गुड्डी को खिलाया तो क्या खिलाया? इतना कहकर वो आत्मसम्मान से मानो थोड़ा सा अकड़ गया,, मुझे वहाँ विस्मित,,चिंतित,,ठगा सा छोड़ वो गरीब आगे बढ़ गया!! :-)

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