Friday, July 24, 2015

Hindi Story -10 का नोट

hindi story 10 ka note
Hindi Story - 10 का नोट
दौड़ती भागती ज़िंदगी का कुछ पलों का ठहराव सा, ये लोकल ट्रेन का प्लॅटफॉर्म…यहाँ कदम रुकते हैं पर मन उसी रफ़्तार से चलता जाता है...कितना कुछ है यहाँ, किसी को किसी पे गुस्सा...घर के कुछ झगड़े... ऑफीस की माथापच्ची...खाली कंधों पे कितना बोझ है, आँखों के नीचे पड़े गड्ढों और माथे की शिकन से दिख जाता है...ऐसी ही एक मुर्दा भीड़ मे एक दिन मैं भी मुर्दा सा खड़ा...ऑफीस जाने की तैयारी मे था...चेहरे पे थोड़ी बहुत चमक इसलिए थी…क्यूंकी महीने का पहला हफ़्ता था, दिल ना सही बटुआ तो अमीर था...बटुआ खोलते ही एक मोटी हरी लकीर देखते ही बनती थी...उसी की चमक तो शायद मुँह पे हरियाली ला रही थी...वैसे मुँह पे हरियाली तो मुरझाए चेहरे दिखते नही पर जाने कैसे एक नन्ही मुरझाती कली पे नज़र पड़ी...बिखरे बाल बता रहे थे पानी से तो उनका रिश्ता बहुत पहले ही छूट गया होगा...तन पे फटे पुराने कुछ चीथड़े...शायद वो मैल की पर्त ही कुछ ठंड से बचाती होगी... उम्र तकरीबन 7 या 8 साल की होगी...पर मजबूरी तो समय से कुछ तेज़ ही चलती और बढ़ती है...अपने नन्हे हाथों से किसी का दामन पकड़ उसका मन खंगालने की कोशिश करती...आँखों मे पेट की भूख सजाए....कुछ पाने की चाहत मे चलती जा रही थी...ट्रेन आने मे अभी 15 मिनिट थे इसलिए चाय की चुस्कियों से अच्छा टाइमपास क्या होता, तो सामने ही एक टी स्टॉल पे पहुँच गया...ये बेंचने वालों की आँखों मे एक अजीब सा अपनापन होता है...बनावटी होता है या नहीं ये तो बता नही सकता...पर उनकी गर्मजोशी देख लगता है बस आपके लिए ही दुकान खोल के बैठा है...खैर चाय ली…एक दो घूँट ही मारे होंगे... कि वो नन्हा मन अपना ख़ालीपन समेटे मेरे सामने खड़ा था...महीने के शुरुआती दिन हो तो दिल थोड़ा दिलदार हो जाता है...ज़्यादातर तो अपने लिए ही...पर आज सोचा कुछ इसको भी दे ही दूं...बटुआ खंगाला...एक भी सिक्का नहीं...अरे होता है न...जेब मे हज़ारों पड़े हो, पर हम भिखारी और भगवान सिक्के से ही खुश करने की कोशिश करते हैं...खैर सिक्का नही मिला... हाँ शर्ट की जेब मे एक 10 रुपये का नोट पड़ा था...भीख मे 10 रुपये का नोट... कभी सुना है क्या...यही सोच उससे मुँह फेरने की नाकाम कोशिश की...पर जाने क्यूँ वो वहाँ से टस से मस न हुई...आख़िर इस डर से की कहीं मेरी पैंट छू के गंदी न कर दे...वो 10 का नोट निकाला और उसकी तरफ बढ़ा दिया...अब दिन भर खराब सा मन लिए घूमने से तो अच्छा था न की 10 रुपये चले जाए पर जान छूटे ...पर वहाँ तो स्थिति ही बदल गयी…10 का नोट देखते ही वो रोते रोते वहाँ से भाग गयी...10 का नोट हाथ मे ही रह गया, जाहिर सी बात है मुँह से एक ही बात निकली, ये भिखारी भी न...चाय वाला सब देख रहा था...अचानक बोला...साहब ना आपकी ग़लती है न उसकी...फिर उसने आगे बताया की पिछले महीने रात के वक़्त किसी ने 10 रुपये के बदले ही इसकी मासूमियत तार तार करने की कोशिश की थी...वो तो भला हो पोलीस का जो अपने स्वाभाव के विपरीत समय पर पहुँची और एक मासूम की मासूमियत को लुटने से बचा लिया...पर थे तो पोलीस वाले ही...पैसा लिया और उस अपराधी को भी छोड़ दिया...बस इसीलिए १० का नोट देखा तो वो रोकर भाग गयी...मैं स्तब्ध था…कहने के लिए कुछ ना बचा था...इस १० के नोट की कीमत उसके लिए मेरी समझ से भी कहीं ज़्यादा थी... जिस ओर वो भागी थी कुछ देर उस ओर देखा फिर खुद से एक अजीब सी बदबू आई...घिन सी हुई खुद से...अचानक ट्रेन की सीटी बजी...वो अपनी उसी रफ़्तार से चली आ रही थी...हाँ मेरी रफ़्तार ज़रूर कुछ कम हो गयी थी...खैर भीड़ का हिस्सा था तो उसी के साथ ट्रेन मे चढ़ गया...हाथ मे अब भी वो 10 का नोट था...उसे देखा तो आँखों के एक कोने से इंसानियत कुलबुला के टपक पड़ी...लेकिन उस नोट पे चिपका एक महापुरुष अभी भी हंस रहा था....
अगर आपके पास भी है कोई story, quotes या कोई article तो हमारी ईमेल आईडी पर भेजे हम आपके नाम से वो पोस्ट करेंगे । हमारी email id- EkUmmid067@gmail.com

No comments:

Post a Comment