दोस्तों आज Ignored Post पर मैं आपके साथ कुछ special share करने जा रहा हूँ . Special इसलिए क्योंकि आज मैंने जो article Hindi में translate किया है वो एक ऐसे व्यक्ति द्वारा लिखा गया है जिन्हें मैं अपना on-line गुरु मानता हूँ . उनका नाम है Steve Pavlina. उन्होंने अपने articles से करोड़ों लोगों के जीवन में एक positive बदलाव लाया है . और आज जो article मैं आपसे share कर रहा हूँ वो उनके द्वारा लिखे गए सबसे ज्यादा पढ़े जाने वाले articles में से एक है . इसे बड़े धयन से पढ़िए क्योंकि यहाँ से आप जान सकते हैं अपने जीवन का उद्देश्य .
How to Discover Your Life Purpose in About 20 Minutes
लगभग 20 मिनट में जानें अपने जीवन का उद्देश्य
आप अपने जीवन का असली उद्देश्य कैसे पता करेंगे ? मैं आपकी job के बारे में बात नहीं कर रहा हूँ , या फिर आपकी रोज़मर्रा की जिम्मेदारियों या आपके long term goals के बारे में भी बात नहीं कर रहा हूँ . मेरा मतलब उस असली वजह से है जिसके लिए आप यहाँ हैं —वो वजह जिसके
लिए आप exist करते हैं .
या शायद आप एक नास्तिक व्यक्ति हैं जो ये सोचता है कि उसके जीवन का कोई उद्देश्य नहीं है , और ज़िन्दगी का कोई मतलब नहीं है . इससे कोई फरक नहीं पड़ता . इस बात में यकीं रखना की life का कोई purpose नहीं है आपको इसे discover करने से नहीं रोकता , ठीक वैसे ही जैसे गुरुत्वाकर्षण में यकीं नहीं होना आपको घूमने-घामने से नहीं रोक सकता . यकीं ना होने से बस समय थोडा ज्यादा लगेअगा , तो अगर आप इस तरह के व्यक्ति हैं तो इस पोस्ट के Title में जो नंबर है उसे 20 से बढ़ा कर 40 कर दें (या 60 अगर आप सच -मुच जिद्दी हैं ). ज्यादा chance है कि अगर आप ये believe करते हैं कि आपकी life का कोई purpose नहीं है तो मैं जो कुछ कह रहा हूँ आप उसमे भी believe नहीं करेंगे , पर फिर भी , एक घंटा देने में क्या जाता है , क्या पता कुछ पता ही चल जाये ?
Bruce Lee के बारे में एक छोटी सी कहानी बात कर मैं इस छोटी सी exercise का stage सेट करता हूँ . एक martial artist ने Bruce से कहा कि तुम martial arts के बारे में जो कुछ भी जानते हो मुझे सिखा दो .Bruce ने पानी से भरे दो कप लिए और कहा “ पहला कप martial arts के बारे में जो भी तुम्हारा ज्ञान है उसे दर्शाता है , दूसरा कप martial srts के बारे में मेरे ज्ञान को दर्शाता है . अगर तुम अपना कप मेरे ज्ञान से भरना चाहते हो तो पहले तुम्हे अपने कप का ज्ञान कहली करना होगा .”
यदि आप अपनी ज़िन्दगी का असली मकसद जानना चाहते हैं तो पहले आपको सिखाये गए सभी व्यर्थ के मकसदों (including कि आपकी ज़िन्दगी का कोई मकसद ही नहीं है ) को अपने दिमाग से निकलना होगा .
तो आप अपने जीवन का उद्देश्य कैसे पता करेंगे ? वैसे तो यह पता करने के कई तरीके हैं , पर यहाँ मैं आपको एक बहुत ही simple तरीका बताऊंगा जो कोई भी अपना सकता है . आप इस तरीके को जितना ज्यादा accept करंगे , जितना ज्यादा इसके काम करने की अपेक्षा करेंगे यह उतनी ही तेजी से आपके लिए काम करेगा .पर यदि आप इससे ज्यादा उम्मीद ना भी करें , या इसपे कुछ doubt करें , यह सोचें कि ये तो बेवकूफी है , समय की बर्वादी है तो भी यह अप्पके लिए काम करेगा , बस ज़रुरत है कि आप इसके साथ लगे रहिये .—पर हाँ , समय कुछ अधिक लगेगा .
आपको ये करना है :
1) एक blank page ले लीजिये या फिर एक word file खोल लीजिये .
2) Top पर लिखिए , “ मेरी जीवन का असली उद्देश्य क्या है ?”
3) कोई उत्तर लिखिए (कुछ भी ) जो आपके दिमाग में आ रहा हो . पूरा sentence लिखने की ज़रुरत नहीं है . एक छोटा सा phrase काफी है .
4) Step 3 को तब तक repeat कीजिये जब तक की आप कोई ऐसा उत्तर ना लिख लें जिससे आपको रोना आ जाये . यही आपके जीवन का उद्देश्य है .
बस इतना ही . इससे कोई मतलब नहीं है की आप counselor हैं engineer हैं या कोई bodybuilder हैं .कुछ लोगों को ये exercise बिलकुल उपयुक्त लगेगी , कुछ लोगो को कोरी बकवास . Life का purpose क्या है इसको लेकर हमारे मन में जो भी हलचल है और अपनी Social conditioning की वजह से हम जो कुछ भी इस विषय में सोचते हैं उसे clear करने में आम तौर पे 15-20 मिनट लगेंगे.गलत उत्तर आपकी memory और mind से आयेंगे . लेकिन जब आपको सही उत्तर मिल जायेगा , आपको अहसास होगा कि यह उत्तर किसी बिलकुल ही अलग जगह से आ रहा है .
वो लोग जो अपनी जड़े जागरूकता के बिलकुल निचले स्तर पर जमा चुके हैं , उन्हें सभी गलत उत्तर निकालने में काफी वक़्त लगेगा , शायद एक घंटे से भी ज्यादा . लेकिन यदि आप , 100, 200 या 500 उत्तर के बाद भी लगे रहेंगे तो आपको वो उत्तर मिल जायेगा जो आपकी भावनाओं को बढ़ा देगा , जो आपको रुला देगा .यदि आपने पहले कभी ये नहीं किया है तो शायद ये आपको बहुत मूर्खतापूर्ण लगे . लगने दीजिये पर इसे करिए ज़रूर .
आप जैसे -जैसे इस प्रोसेस से गुजरेंगे , आपके कुछ उत्तर बहुत एक जैसे लगेंगे , आप चाहें तो पुराने उत्तर दुबारा भी लिख सकते हैं . आप अचानक एक नयी दिशा में सोच सकते हैं और 10-20 नए उत्तर भी लिख सकते हैं . That’s OK. आपके दिमाग में जो उत्तर आये आप वो लिख सकते हैं बशर्ते आप लिखना चालू रखिये .
इस दौरान एक समय ऐसा भी आएगा ( लगभग 50-100 answers के बाद ) जब आप quit करना चाहें , और आप खुद को उस उत्तर तक पहुचते ना देख प् रहे हों . आप को ऐसा लग सकता है कि आप किसी बहाने से उठ कर कुछ और करने लगें . ये normal है . इस अवरोध को पार कीजिये , और बस लिखते रहिये . अवरोध का अहसास कुछ देर में ख़तम हो जायेगा .
शायद आपको बीच में कुछ ऐसे उत्तर मिलें जो आपको थोडा emotional कर दें , पर वो आपको रुला ना पाएं — ऐसे answers को highlight करते हुए आगे बढिए , ताकि बाद में आप इनपर वापस आकर नए संयोग बना सकें . हर एक उत्तर आपके purpose के एक हिस्से को दर्शाता है , पर खुद में वो पूर्ण नहीं है . जब आपको ऐसे उत्तर मिलना शुरू हो जायें तो इसका मतलब है कि आप warm-up हो रहे हैं . बस आगे बढ़ते रहिये .
यह ज़रूरी है कि आप इसे अकेले बिना किसी रूकावट के करिएँ .यदि आप नास्तिक हैं तो आप इस उत्तर से शुरआत कर सकते है कि , “ मेरे जीवन का कोई उद्देश्य नहीं है ,” या “ जीवन निरर्थक है ,’ और वहां से आगे बढिए , यदि आप लगे रहेंगे तो आपको उत्तर ज़रूर मिलेगा .
जब मैंने यह exercise की तो मुझे लगभग 25 मिनट लगे , और मैं अपने final answer तक 106 वें step में पहुंचा . उत्तर के कुछ parts ( जब मैं थोडा emotional हो गया ) मुझे step no. 17,39 और 53 में मिले .और सबसे ज्यादा step 100-106 में मुझे अपना answer मिला और refine होता गया .. मुझे step 55-60 के आस – पास बहुत अवरोध मह्शूश हुआ , लगा कि मैं ये छोड़ के कुछ और करूँ , लगा कि ये process fail हो जायेगा , मैंने काफी impatient और irritating feel किया . Step no. 80 के बाद मैंने 2 मिनट का break ले लिया , आँखे बंद कर के थोडा relax किया ,अपने mind को clear किया और इस बात पर focus किया कि मेरी intention जवाब पाने की है . –ये मददगार साबित हुआ क्योंकि break के बाद मुझे और भी clear answers मिलने लगे .
Here was my final answer: to live consciously and courageously, to resonate with love and compassion, to awaken the great spirits within others, and to leave this world in peace.
मेरा final answer था : जागरूकता और साहस के साथ जीवन जीना ,प्रेम और दया को अपनाना , दूसरों के अन्दर की महान आत्माओं को जगाना , और इस दुनिया को शांतिमय बनाकर छोड़ना.
जब आपको अपना उत्तर मिल जायेगा कि आप यहाँ क्यों हैं , तब आप feel करेंगे की वो आपके अंत -मन को छू रहा है . वो शब्द आपको energetic लगेंगे , और आप जब भी उन्हें पढेंगे तो आप उस energy को feel करेंगे .
उद्देश्य को जान लेना आसान है . कठिन तो यह है कि उसे हर रोज़ अपने साथ रखना और खुद पर काम करना कि एक दिन आप खुद वो उद्देश्य बन जायें .
अगर आप यह पूछना चाहते हैं कि यह process काम क्यों करता है तो आप पहले इस question को तब तक side में रख दीजिये जब तक आप इस excercise को सफलतापूर्वक complete नहीं कर लेते . और जब आप ये करलेंगे तो शायद आपके पास अपना खुद का एक जवाब होगा कि ये काम क्यों करता है . यदि आप 10 ऐसे लोगों से ( जिन्होंने इस process को successfully complete कर लिया है ) येही प्रश्न करें तो ज्यादा chance है कि आपको दस अलग -अलग उत्तर मिलेंगे , जो उनके अपने belief system के हिसाब से होगा , और हर एक में सच्चाई कि अपनी ही छवि होगी .
जाहिर है कि अगर आप final answer आने से पहले ही quit कर गए तो ये process आपके लिए काम नहीं करेगा . मेरा अनुमान है कि 80-90% लोगों को उत्तर 1 घंटे के अन्दर मिल जायेगा . अगर आप अपनी धारणाओं में बहुत ही ज्यादा उलझे हुए हैं तो शायद आपको 5 sessions लगें और कुल 3 घंटे का वक़्त लगे , पर मुझे संदेह है कि ऐसे व्यक्ति पहले ही quit कर जायेंगे ( शायद पहले 15 मिनट में ) या फिर वो इस attempt ही ना करें . लेकिन आप इस blog को पढने के प्रति आकर्षित हुए हैं ( और अभी तक इस अपने life से बन करने के बारे में नहीं सोचा है ), तो शायद ही आप इस group को belong करें .
इसे try करिए . ज्यादा से ज्यादा दो चीजें हो सकती हैं : आपको अपने जीवन का उद्देश्य पता चल जाये या फिर आप इस blog को unsubscribe कर लें .
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Note: इस article को Hindi में translate कर के Ek Ummid Blog पर डालना किसी copyright का उल्लंघन नहीं है क्योंकि इसकी अनुमति Mr. Pavlina ने पहले से दे राखी है .
Note : Despite taking utmost care there could be some mistake in Hindi translation of “How to Discover Your Life Purpose in About 20 Minutes”
निवेदन : यदि यह लेख आपके लिए लाभप्रद रहा हो तो कृपया कृपया comment के माध्यम से मुझे ज़रूर बताएं.
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