Heart Touching Hindi Love Story: अधूरी मोहब्बतें
इंटर कॉलेज खालिसपुर में 11th में ऐडमिशन लिए मुझे एक हफ्ते हो चुके थे । एक दिन मैं स्कूल जल्दी पहुँच गया था तो यूँ ही बालकनी से टेक लगाये इधर उधर देख रहा था ।कॉलेज के सामने नंबर 5 बस आके रुकी, मैं बस से उतरते छोटे बच्चों को देखने लगा उस बस में मेरे क्लास के भी कुछ लड़के आते थे ।
बच्चे उतर चुके थ मैं बस के गेट पे ही टकटकी लगाये था । फिर जो हुआ ... उसे बयां नहीं किया जा सकता । एक खूबसूरत लड़की, पता नहीं कौन, स्कूली ड्रेस (नीला सूट) पहने उतरी । मैं थोडा सावधान हुआ उसे देखने के लिए बालकनी के कोने पर गया । गेट से बस काफी दूर रूकती थी । वो गेट के तरफ आ रही थी । बदलियां छाई थी ठंडी हवाएँ चल रही थी । मैं भी हवाओं के साथ उड़ रहा था ।पहली नज़र में ही उसे देखने के बाद दिमाग फ़िल्मी कल्पनायें करने लगा ।
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जैसे नायिका आती और उसके हर कदम हवाओं के झरोके लाते हैं और नायक आँखे बंद किये उसे महसूस करता है । लगभग ऐसी ही स्थिति थी मेरी । वो स्कूल में प्रवेश कर चुकी थी । मैं जल्दी से नीचे भगा ये देखने के लिए की आखिर वो किस क्लास में जाती है । मेरे नीचे पहुंचते ही वो ऑफिस में प्रवेश कर गई । प्रार्थना की घंटी बजी । आज दिमाग कहीं और ही था । दोस्तों ने कहा था जो लड़की दूर से अच्छी दिखती है वो होती नहीं बे । मैंने सोचा प्रार्थना के बाद उसे थोड़ा नजदीक से देखूंगा लेकिन अभी ये निश्चित नहीं था की वो किस क्लास में पढ़ती है ।
प्रार्थना खत्म होने के बाद हम क्लास में गए । चूँकि क्लास में तीन पंक्तियों में बेंच लगे थे फिर भी मैं लास्ट बेंच स्टूडेंट था । क्लास में लड़कियों की लाइन आनी शुरू हुई और फिर मैं जैसे ख़ुशी से पागल हो गया आँखे फ़ैल गईं जब मैं उसे उस लाइन में देखा ।लंबे खुले बाल , चपल आँखे गेहुँवा रंग वाकई बहुत खूबसूरत लग रही थी वो । वो बैठी, जिस हिसाब से हम दोनों बैठे थे हमी में सबसे ज्यादा दुरी थी । वो पहली लाइन की पहली बेंच पे मैं तीसरी की आखिरी बेंच पे । मैं उठा और उसे नजदीक से देखने के लिए बोतल लिए आगे गया । उसे सर झुकाये बैग में हाथ डाले कुछ निकाल रही थी ... वो वाकई बहुत ही खूबसूरत थी ... बहुत खूबसूरत । उसे एक नज़र देखकर बोतल भरने नीचे चला गया । क्लास से बाहर निकलते ही दांत पीसकर "yes yes" बोले जा रहा था । मुझे ऐसा महसूस हो रहा था मानो मुझे सपनो की रानी मिल गई हो ।
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पानी भर के क्लास रूम में आया, क्लासटीचर आ चुके थे । उसका नाम पता चलने वाला था । फिर भी मैं नाम गेस किये जा रहा था ....... पूजा ? हम्म , नहीं ... रानी ?... हो सकता है ... या फिर धन्नों .... भक् इतना फ़र्ज़ी नाम... हा हा हा । इन्हीं कल्पनाओं में खोया था तबतक अटेंडेंस चालू हो गया । सुमन .... प्रेजेंट सर ... ओह, सुमन, हाँ यही नाम था उसका । कितनी मीठी आवाज थी उसकी । दिमाग में सुमन नाम को लेकर तोड़ने फोड़ने लगा, सुमन ... छू ... मन ऐसा ही कुछ । आज दिमाग पता नहीं क्यू बचकानी हरकते कर रहा था । हालांकि क्लास में बहुत से स्मार्ट लड़के थे और मैं तो थोड़ा भी नहीं । ये भी पता था आधा क्लास उसी के पीछे पड़ने वाला है फिर भी मैं आत्मविश्वास से भरपूर था ।
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दिमाग में बोले जा रहा था ... तुम मेरी हो ..सुमन । धीरे धीरे दिन बीतते गए क्लास रूम में उसकी हर एक हरकत पे मेरी नज़र होती थी । और हर एक लड़के पर भी की कौन उसे देख रहा है । अबतक उसका नेचर जान चूका था, बिल्कुल शालीन, रंगीन दुनिया से बिल्कुल हटके, सकारात्मक विचारों वाली न मोबाइल का शौक ना इंटरनेट ।
मेरा दिमाग खोया खोया सा रहने लगा था । हालाँकि मैं थोडा शायर मिजाज था तो उसकी हरकत पे कभी कभी शायरी भी बोल दिया करता था और दोस्त भी वाह वाह रपेट देते थे । कुमार शानू और मोहम्मद रफ़ी के गाने सुनने और गुनगुनाने की आदत से हो गई थी । लेकिन अभी तक उस से अपनी दिल की बात न कह पाया था । 11th की वार्षिक परीक्षा खत्म हुई । 4 सेक्शन के 800 बच्चों में से टॉप 20 में से मेरे सेक्शन के मुझे लेकर कुल कुल दो लड़के थे जिसमे मेरा 13वां और दूसरे का 18वां स्थान था । मेरा स्टेटस बढ़ चूका था क्लास रूम सभी लोग थोड़ी इज्जत से देखते थे । टीचर ने हम दोनों के लिए ताली बजवाई । मेरी नज़रें बस उसी को निहार रहीं थी । सब लोग मेरी ओर देखकर तली बजा रहे थे इसी बीच सुमन से मेरी नज़रे लड़ जाती और मेरा दिल जोर से धड़क उठता था । अब शायद वो भी मुझे कुछ कुछ नोटिस करने लगी थी । मैं उसे प्रोपोज़ करना चाहता था ।
मैंने ये बात अपने एक छिछोरे दोस्त से कहा । उसने कहा चल चलते हैं, इंटरवेल हो चूका था वो क्लास रूम में अकेली ही बैठी थी मौका अच्छा था । लेकिन तभी उस दोस्त ने एक लड़की से कुछ कहा ... शायद कोई कमेंटबजी ....वो लड़की खरी खोटी सुना के आगे बढ़ गई ... मैंने दोस्त से पूछा तेरी gf थी वो ?? उसका जवाब था नहीं । ये सब करते सुमन ने हमें देख लिया था । मुझे बहुत शर्मिंदगी महसूस हो रही थी, गेहूं के साथ घुन भी पिस चूका था । वो हमें देखकर गर्दन नीचे कर के हिलाये जा रही थी, शायद वो मेरा आकलन कर रही थी । मैं खुद की नज़रों से गिर चूका था ।
बचपन का दोस्त था वो छिछोरा दोस्त इसलिए कुछ बोल भी नहीं सकता था लेकिन मैंने उसे ऐसा आगे न करने के लिए वार्निंग दे दी, उसे भी दुःख था । एक दिन छिछोरे से कहा यार जरा उसके बारे कुछ पता कर के बता ना । दूसरे दिन उसके पास बस एक इंफोर्मेशन थी लेकिन जो थी बहुत बड़ी थी । उसे इंप्रेस करने का उससे अच्छा तरीका कोई न था । मेरे दोस्त के मुताबिक उसे लिखना बहुत पसंद था और स्कूल की वार्षिक पत्रिका में कविता देने वाली थी । मैं आज बहुत खुश था क्योंकि उस समय भी चंद कवितायेँ मैं भी कर लेता था । मैंने भी अपनी एक क्वालिटी वाली कविता अच्छी खासी फोटो सहित पत्रिका के लिए दे दी । महीने भर बाद पत्रिका सबके हांथो में थी । पत्रिका के मेरे हाथों में आते ही जल्दी जल्दी उसकी कविता का पन्ना खोजा । ऊपर उसकी हल्की धुंधली सी तस्वीर नीचे नाम सुमन क्लास 12th B2 ।
बारिश पे लिखी गई एक कविता थी ... थोड़ी बच्चों वाली टाइप की थी ... पर मैं बार बार उसकी कविता को पढ़ता... हर बार । क्लास में अच्छे लेखों और कविताओं की तारीफ हो रही थी । मैंने भी थोड़ी अच्छी लिखी थी तो मेरी भी । सुमन वही किताब खोले बैठी थी ... मैं उसकी तरफ देख रहा था ... तभी उसने मेरी तरफ देखा ... मुझे समझते देर न लगी की वो अभी मेरी ही कविता पढ़ रही है ... मैं भी उसी की रचना खोले बैठा था । वो कुछ सेकंड तक मुझे देखती रही और मैं भी उसे, वो मुस्कुराई मैं भी मुस्कुराया । आज दिल बाग बाग हो गया था । फिर इंटरवेल हुआ । क्लास में ... मैं और छिछोरा दोस्त और कुछ लड़कियां थीं ।आगे बेंच पर बैठे पत्रिका पढ़ रहे थे और जिस जिस ने रचनाएं दी थी उसे पहचाना जा रहा था ... अरे ये तो अखिल है न बे 12B1 का .. पक्का चोरी कर के दी होगी ... अबे ये कमीना संजीव कबसे लेख लिखने लगा वो भी गरीबी पर .. अमिर बाप की बिगड़ी औलाद ....सबको निशाने पे लिए जा रहे थे तभी सुमन क्लास में आई । हम चुप हो गए । बेंच पे बैठते ही कहा अच्छा लिखते हो पंकज बहुत अच्छा । मैंने उसे थैंक्स बोला । मेरे दिल के तार बजने लगे ।
दिल ने कहा बेटा लपेट के और बतियावो । तभी एक लड़की ने बोल दिया ये पंकज शायरी भी बहुत अच्छी करता है । सुमन ने कहा "ऐसा क्या" । लड़की - अरे पता नहीं क्या तुमको तुम्हारे ऊपर सबसे ज्यादा करता है । ये सुन के सुमन चुप हो गई .... मेरा मुंह शर्म से लाल हो गया । शायद सुमन को कुछ कुछ समझ में आने लगा था, वो अभी भी चुप थी । मैंने परिस्थिति को सँभालते हुए कहा -- अरे सुमन वो बहुत फ़र्ज़ी बोलती उसकी बातों पर ध्यान मत देना ... वैसे तुम्हारी कविता भी लाजवाब थी । उसने मुझे धन्यवाद देते हुए कहा तुम्हारी ज्यादा अच्छी थी । मैंने कहा - अच्छा सही में ? मुझे तो नहीं लगता । उसने भी मेरी बात दोहरा दी - अच्छा ? मुझे भी नहीं लगता । हम दोनों कुछ देर तक चुप रहे फिर एक साथ खिलखिला के हँसने लगे । मेरी हंसी तो वैसे हो सियार जैसी थी .... लेकिन उसकी हंसी तो इतनी सुरीली और दिल में घंटी बजाने वाली थी की बिन बादल बरसात और बिन घटा मोर नाचने लगे ।
यूँ ही हम लगभग 10 मिनट तक बात करते रहे । जब स्कूल की छुट्टी हुई तो बस के पास साईकिल निकालकर खड़ा था उसे देखने के लिए । वो आई बस में बैठी और चली गई । आज मेरा दिल उछल उछल के धड़क रहा था । तेज़ धुप भी बर्फीली ठण्ड का एहसास दिला रही थी । आज पता नहीं कौन सी आंतरिक शक्ति साईकिल चला रही थी ... क्या चढ़ाव क्या ढलान कुछ् नहीं सूझ रहा था । कुमार शानू का वो गीत "पहला ये पहला प्यार तेरा मेरा सोनी" को मेरी अंतरात्मा बिल्कुल स्पष्ट सुन रही थी । उसी का चेहरा आँखों में समाया हुआ था । रास्ते में कौन आ रहा है कौन जा रहा है कोई सुध् नहीं । घर पहुंचा हाथ मुंह धो के खाना खाया । लव सांग्स की एक लंबी चौड़ी प्ले लिस्ट बना के सुनता रहा ।
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उस से स्कूल में अब रोज बात होती । उसे कभी कभी अपनी कविताये सुनाता तो कभी वो । बोर्ड एग्जाम को 1 महीने बाकी रह गए थे, स्कूल बंद होने वाला था । शायद अब हमारी मुलाकात 2 महीने बाद होने वाली थी । घर जाते वक़्त हम दोनों मिले ... मैंने आने वाले एग्जाम के लिये उसे बेस्ट ऑफ़ लक कहा ... उसने भी मुझे कहा ... ये भी की ... दिमाग सिर्फ पढाई पर लगाना ... कुछ दिन कविता शायरी बंद कर दो । वो मुस्काई, बाय बोला और बस में बैठ गई ... मैं बगल में खड़ा था वो खिड़की में से मुझे देख रही थी .. शायद उसे एहसास हो चूका था की मैं उससे प्यार करता हूँ । आज मैं बहुत उदास था और.. शायद वो भी । वो चली गई मैं उसे एकटक निगाहों से देखता रहा।
मेरी आँखों में आंसू थे .. तभी छिछोरा आया और ढांढस बन्धाने लगा । फिर मैं ये सोचकर खुश हो गया की एग्जाम खत्म होने के सबको एक दिन स्कूल आना था ..... उस दिन हमें अच्छे रिजल्ट की शुभकामना और भविष्य के लिए हिदायत देने को बुलाया गया था । किताबों और उसकी यादों की कश्मकश के बीच एग्जाम खत्म हुआ । सभी पेपर बहुत अच्छे हुए थे, मैं बहुत खुश था । हफ्ते भर बाद स्कूल जाना था । बहुत बेचैन था, नींद गायब थी, भूख भी बहुत कम लगती थी । दिमाग कल्पनाओ के समुन्दर में गोते खा रहा था ... सुमन आएगी उस दिन ... क्या वो सारी में होगी या किसी और लिबास में ? .... ।
आखिर वो दिन आ ही गया रात को जैसे तैसे 2 बजे सोया था और सुबह 4 बजे ही उठ गया । 7 बजे का टाइम था । जल्दी से नहा धो के हल्का फुल्का नाश्ता चाय किया । आज जींस और चेक शर्ट में स्कूल जाने वाला था । कायदे से Deo लगा के आज अपनी बाइक CD Delux उठाई और 6 बजे ही घर से निकल गया । चूँकि आज सारे दोस्तों से विदा होने वाला था तो वैसे भी मन भावुक था । 10 मिनट में स्कूल पहुँच गया ... छिछोरा वही खड़ा था । बाइक से उतरकर उससे गले मिला । एग्जाम का हाल चाल लिया गया । उसने पेट में खोदते हुए कहा ... क्या बात है बड़ा सज धज के आया है ... मैंने उसे ठोंक दिया वो चुप हो गया ।
बहुत दोस्तों से मुलाकात हुई । बस के आने का टाइम हो रहा था ... दिल की धड़कने बढ़ रही । कभी कभी ये सोचके घबरा जाता की "वो आयेगी भी या नहीं" .... तभी सर झोर के खुद से कहता ऐसा नहीं होगा ... वो जरूर आएगी । मैं बालकनी में चला गया ... उसे उसी पुराने अंदाज में देखने के लिए जैसा उसे पहली बार देखा था ... बिलकुल उसी जगह खड़ा था । अभी इसी कंफ्यूजन में था की वो क्या पहन के आएगी ... बाकी लड़कियां खूबी सज धज के आई थीं । तबतक कुछ दूर बस दिखी ... हाँ वो 5 नंबर बस थी । मेरी ख़ुशी का ठिकाना न रहा । बस रुकी सारे 12th के स्टूडेंट थे । मैं लगातार देखे जा रहा था की कब वो निकलती है ... वो निकली ...
वही स्कूल की ड्रेस पहने हुए ... आँखों में वही चमक वही दमकता चेहरा ... वही शालीनता ... भला उसे और किस साज सज्जा की जरुरत थी ...। ऐसा लग रहा था मानों 2 साल पहले की घटना रिपीट हो रही हो । वही हवा के झरोंको को आँख बंद करके महसूस कर रहा था । उसकी नज़रे ऊपर उठीं उसने मुझे देखा मैंने उसे । मैंने ऊपर से ही बोला .... हाय सुमन कैसी हो ? .. उसने कहा ... पहले नीचे तो आओ पंकी ... वो बहुत खुश दिख रही थी । मैं दौड़ा नीचे गया ... बिल्कुल उसके सामने आ गया ... जी किया बाहों में भरके गले लगा लूं । दिल जोरों से धड़क रहा था ।उसने उसने पूछा एग्जाम कैसा बीता ... मैंने कहा "एकदम खराब" ... उसने कंधे पर ठोंकते हुए कहा "चल झूठा .. तुम्हारा और ख़राब " । सुमन ने कहा - बड़े स्मार्ट लग रहे हो ... मैंने भी कह दिया - "तुम भी बहुत खूबसूरत लग रही हो ... हमेशा की तरह ।और हम एक साथ हंस पड़े ।
स्कूल का कार्यक्रम खत्म होने के बाद बोला गया की एक घंटे बाद स्कूल की छुट्टी कर दी जायेगी जिनसे मिलना हो मिल लो । आज शायद आखिरी दिन था ... फिर पता नहीं कब मुलाकात होगी ... यही सोचते हुए हम दोनों आमने सामने बैठे थे ... आज निश्चय कर के आया था की उससे अपनी दिल की बात बोल दूंगा लेकिन समय बीत रहा था मैं बोल नहीं पा रहा था । उसकी भी हालात मेरी जैसी ही थी ... शायद वो भी मुझसे कुछ कहना ही चाहती थी .... शायद वही जो मैं उससे । स्कूल में बीते पुराने वक़्त को याद किया जा रहा था । आँखों से आँखे मिली हुई थी ... हमें एक दूसरे की दिल की बातें पता थीं बस जबानी तौर पर कहना था जो अब बहुत कठिन प्रतीत हो रहा था । बात करते करते हमारी ऑंखें भर गई थीं ।
तभी अनाउंस किया गया की जिसे बस से जाना है बस में जल्दी से बैठ जाये । ये सुनते ही लगा मेरा दिल बाहर निकल जायेगा । पांव कांप रहे थे । ऐसा लग लग रहा था दिल की बात दिल में ही रह जायेगी । मैंने उससे कहा जाने दो ना बस को मैं तुम्हे बाइक से घर तक छोड़ दूंगा । उसने कहा मुझे कोई दिक्कत नहीं ...कोई और देखेगा तो क्या सोचेगा । पता नहीं क्यों मैं उसकी बात नहीं काट पाया । बस में बैठने के लिए एक बार फिर अनाउंस किया गया । अब मुझे चलना होगा ये कहते वो उठ गई ... उसकी आँखे नम थी ... मैं मन ही मन रो रहा था और सोच रहा की काश अभी अपने हांथो से उसके आंसू पोंछ दूँ और बाहों में भर लू । वो जाने लगी ... मैं जैसे हरासमेंट का शिकार हो रहा था ... धड़कन रुक सी गई थी । वो स्कूल के गेट पर पहुँच चुकी थी ... मुझसे अब रहा नहीं जा रहा था ... मैंने आवाज लगाई - "सुमन रुको थोडा" ।
Photo courtesy- Back 2 love music album |
ये सुनते ही सुमन ने अपने पाँव वापस खिंच लिए । मैं जल्दी में लड़खड़ाते हुए उसके पास गया । अब निश्चय कर लिया था ... इस बार बोल के रहूँगा । वो गेट के पास खड़ी तो मैं उसके पास पहुंचा ... करीब .. बिल्कुल करीब । पूरा शारीर कांप रहा था । मैंने एक झटके में बोल दिया ... "मैं तुमसे बहुत प्यार करता हूँ " । मेरी नज़रे झुकी हुई थी उसके जवाब का इंतजार था ...। आखिरकार उसका जवाब आया ... "मैं भी " ।
हम एकदम शांत थे । मैंने नज़रों से नज़रें मिलाई और कहा पूरा बोलो ना ... उसने कहा ... "मैं भी तुमसे बहुत प्यार करती हूँ" । ये सुनते ही ऐसा प्रतीत हुआ मानों मैं हवा में उड़ रहा हूँ ।लग रहा था बहुत बड़ा बोझ हट गया हो दिल से । जी कर रहा था कस के गले लगा लूँ पर बहुत से लड़के आ जा रहे थे इसिलिये ऐसा ना कर सका । हम दोनों खुश थे । वो बस में बैठने के लिए जाने लगी ... आँख के आंसू पोछते ... क्या ये मिलन था दो दिलों का ?? कैसा दिलों का मिलन .... जब एकदूसरे से मिलने की संभावनाये धुंधली हों । लेकिन हम सन्तुष्ट थे ।
वो बस में बैठी खिड़की में से निहार रही थी । मैं चुपचाप खड़ा उसे देख रहा था ... बस के स्टार्ट होते ही आँखों में आंसू आ गए । बस चली पड़ी .... बस .... अब सब शांत था । कुछ देर यूँ ही बाइक पे बैठा रहा । छिछोरा आया ... मैं उसे बिना कुछ कहे सुने गले लगा लिया ... वो समझ गया की कहानी बन गई लौंडे की ..... ।
उसने कहा पार्टी कब दे रहा है ... मैंने कहा ले लेना बे । उसने कहा .... फ़ोन नंबर लिया या एड्रेस ?? ये सुनते ही जैसे मैं फिर सुन्न पड़ गया । उसके जाते वक़्त तो उसे ही निहारता रह गया इन सब चीज़ का तो ध्यान ही नहीं रहा और शायद उसके साथ भी यही हुआ था । इसी बीच फिर एक उम्मीद की किरण जगी ... रिजल्ट .... हाँ वो अपना रिजल्ट लेने जरूर आएगी । छिछोरे ने कहा बेवकूफ आशिक़ उस दिन पक्का मांग लेना ।
उसने कहा पार्टी कब दे रहा है ... मैंने कहा ले लेना बे । उसने कहा .... फ़ोन नंबर लिया या एड्रेस ?? ये सुनते ही जैसे मैं फिर सुन्न पड़ गया । उसके जाते वक़्त तो उसे ही निहारता रह गया इन सब चीज़ का तो ध्यान ही नहीं रहा और शायद उसके साथ भी यही हुआ था । इसी बीच फिर एक उम्मीद की किरण जगी ... रिजल्ट .... हाँ वो अपना रिजल्ट लेने जरूर आएगी । छिछोरे ने कहा बेवकूफ आशिक़ उस दिन पक्का मांग लेना ।
रिजल्ट मिलने के एक दिन पहले कश्मकश जारी थी ... की क्या वो रिजल्ट लेने आएगी ? लेकिन इस बार दिल भी ये बात दिल से नहीं कह रहा था । रिजल्ट लेने देर से पहुंचा । छिछोरे से मुलाकात हुई .. बोला मैं भी अभी आ रहा हूँ । सुमन कहीं भी नहीं दिख रही थी । रिजल्ट देते वक़्त सर ने शाबाशी देते हुए कहा बहुत अच्छे नंबर हैं तुम्हारे अच्छे से पढ़ना आगे । 89 % मार्क्स थे । लेने के बाद sign करने लगा रजिस्टर में तो देखा की सुमन के कालम के आगे ट्रिक लगा है और किसी का सिग्नेचर पड़ा है । एक समय के लिये लगा जैसे दिल धड़कना बंद हो गया है ।
सर से पूछा सुमन आई थी रिजल्ट लेने ? उन्होंने कहा नहीं ... उसके नाना जी आये थे । नाना जी ? सर ने कहा - हाँ वो अपने नाना जी के यहाँ रहती थी ... उसका घर दिल्ली है । अभी वो घर चली गई है । मैं रिजल्ट लेके बाहर आ गया । उसकी एक सहेली से पूछा -- उसने कहा उसके पास फ़ोन नहीं था इसलिए किसी के पास उसका नंबर या एड्रेस नहीं है ।शिद्दत भरी मोहब्बत ... धूमिल होती दिख रही थी । अब सब सामान्य था या असामान्य ... कुछ समझ नहीं आ रहा था । उसे दुबारा मिलने की सारी संभावनाये खत्म हो रही थीं । बेचैनी ने घेर लिया था ।ऐसा लग रहा था मुझे ऑक्सीजन की कमी हो रही थी सही से साँस नहीं ले पा रहा था । सब कुछ बर्बाद प्रतीत हो रहा था । छिछोरा आया .. मेरे कंधे पे हाथ ठोंक के बिना कुछ कहे चुपचाप घर को निकल लिया । मैं भी घर चला आया था ।
दिमाग में तरह तरह के सवाल उठ रहे थे ।
कही सुमन के प्यार का इकरार झूठा तो नहीं था या फिर वो महज मजाक तो नहीं था ??
लेकिन दिल इस बात की कभी गवाही नहीं दे सकता ।
वो ख़ुशी झुठी नहीं थी ...
वो हंसी झुठी नहीं थी ...
वो आंसू झूठे नहीं थे ...
फिर वो प्यार का इकरार कैसे झूठा हो सकता है ।
आज इस घटना को तीन साल पुरे हो चुके हैं,
कही सुमन के प्यार का इकरार झूठा तो नहीं था या फिर वो महज मजाक तो नहीं था ??
लेकिन दिल इस बात की कभी गवाही नहीं दे सकता ।
वो ख़ुशी झुठी नहीं थी ...
वो हंसी झुठी नहीं थी ...
वो आंसू झूठे नहीं थे ...
फिर वो प्यार का इकरार कैसे झूठा हो सकता है ।
आज इस घटना को तीन साल पुरे हो चुके हैं,
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तब से फिर कभी मुलाकात ना हुई ... कभी कभी सपनों में दिख जाती है । आज भी कभी फेसबुक पे सुमन नाम से रिक्वेस्ट आ जाती है तो दिल झन्ना उठता है । पागलों की तरह उसकी प्रोफाइल चेक करने लगता हूँ .... लेकिन ये मेरी सुमन नहीं होती है .... शायद किसी और की ।
आज भी अपने स्कूल में नए सत्र प्रारम्भ होते है शून्य संभावनाये लिए एक बार अवश्य जाता हूँ सिर्फ और सिर्फ यादों को जीवित रखने के लिए ....उसी बालकनी में खड़ा हो कुछ पल इधर उधर देखता हूँ ----
उसकी निशानी के नाम पर वही पत्रिका में छपी उसकी एक धुंधली तस्वीर और कविता है ।
उसकी धुंधली तस्वीर देखकर डर जाता हूँ कहीं यादों में भी उसकी तस्वीर ऐसे ही धुंधली न पड़ जाये ।
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बड़ी शिद्दत से मुहब्बत की थी जिससे,
दिल अभी भी दिल से कहता है आयेगी वो इक दिन ---||
आज भी अपने स्कूल में नए सत्र प्रारम्भ होते है शून्य संभावनाये लिए एक बार अवश्य जाता हूँ सिर्फ और सिर्फ यादों को जीवित रखने के लिए ....उसी बालकनी में खड़ा हो कुछ पल इधर उधर देखता हूँ ----
उसकी निशानी के नाम पर वही पत्रिका में छपी उसकी एक धुंधली तस्वीर और कविता है ।
उसकी धुंधली तस्वीर देखकर डर जाता हूँ कहीं यादों में भी उसकी तस्वीर ऐसे ही धुंधली न पड़ जाये ।
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बड़ी शिद्दत से मुहब्बत की थी जिससे,
दिल अभी भी दिल से कहता है आयेगी वो इक दिन ---||
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Story Writing and post editing by- पंकज विश्वजीत And Ignored Post Team...
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