अगर आप सहवाग के फेन है तो आप निश्चित तौर पे दुखी होंगे क्युकी जिस खिलाडी ने हमें क्रिकेट में इतने अच्छे पल दिए उस खिलाडी को ढंग से सन्यास भी नही दे पाए ! पढ़िए cricketing Golden memories को समेटे इस पोस्ट को :
courtesy- battingwithbimal |
छियानवे वला वर्ल्ड कप देखे थे.? साला जयसूर्या मारा सीरीनाथ आ प्रभाकरवा को था मगर लग हमको रहा था, सीधा करेजा पर.
जब अफरीदिया 17 गेंद में पचास ठोका था, श्रीलंका के साथे, तब दिल बहुत रोया था हमारा.
फिर साला जब गिलक्रिस्टवा हुमच हुमच के मारता था न्यूजीलैंड वला सब को, त करेजा हमरा फट जाता था.
ऊ टाइम कभी सदगोपन रमेश तो कभी नयन मोंगिया तो कभी जडेजा हमारे लिए ओपनिंग करते थे. दस ओवर मे चालीस रन बन जाता था तो शानदार शुरुआत हो जाता था. सिद्धू पाजी जा चुके थे आ सचिन अकेले जूझता रहता था. (माने वो तो अकेले साढे तीन सौ के बराबर हैं, पर दूसरका एंड पे न न कोई रहता था तो वो भी गड़बडा जाते थे कहियो कहियो.)पिंच हिटर बना के सीरीनाथ और रोबिनवा को भेजा जाता था कि रन रेट बढे़. हर मैच मे यही सोंचते रहते थे कि इ साला हमरा ओपनर सब अफरीदीया जइसा बल्ला काहे नहीं चलाता है.. जयसूर्या जइसा कवर और प्वाइंट के ऊप्पर से मारने वाला कोई हमरे टीम मेें क्यों नहीं हैं.. पंद्रह ओवर के घेरा का फइदा हमारा बैट्समैन सब कहिया बूझेगा ?
जब अफरीदिया 17 गेंद में पचास ठोका था, श्रीलंका के साथे, तब दिल बहुत रोया था हमारा.
फिर साला जब गिलक्रिस्टवा हुमच हुमच के मारता था न्यूजीलैंड वला सब को, त करेजा हमरा फट जाता था.
ऊ टाइम कभी सदगोपन रमेश तो कभी नयन मोंगिया तो कभी जडेजा हमारे लिए ओपनिंग करते थे. दस ओवर मे चालीस रन बन जाता था तो शानदार शुरुआत हो जाता था. सिद्धू पाजी जा चुके थे आ सचिन अकेले जूझता रहता था. (माने वो तो अकेले साढे तीन सौ के बराबर हैं, पर दूसरका एंड पे न न कोई रहता था तो वो भी गड़बडा जाते थे कहियो कहियो.)पिंच हिटर बना के सीरीनाथ और रोबिनवा को भेजा जाता था कि रन रेट बढे़. हर मैच मे यही सोंचते रहते थे कि इ साला हमरा ओपनर सब अफरीदीया जइसा बल्ला काहे नहीं चलाता है.. जयसूर्या जइसा कवर और प्वाइंट के ऊप्पर से मारने वाला कोई हमरे टीम मेें क्यों नहीं हैं.. पंद्रह ओवर के घेरा का फइदा हमारा बैट्समैन सब कहिया बूझेगा ?
courtesy- espncricinfo |
फिर 2000-01 मे आस्ट्रेलिया आया इंडिया. बैंगलोर वन डे मैच मे अपना एगो खिलाडी़ पचास रन मारा, स्टीव वॉ को आउट किया, मैन ऑफ द मैच बना मगर चोट लगा के पूरा सीरिज से बाहर. लेकिन मरदे ऊ जो फेर आया न्यूजीलैंड वला वनडे में तो ओपनिंग किया, टीम को फाइनल में पहुंचने वाले रन रेट का सारा हिसाब किताब बराबर किया और तब हमको लगा कि अब बेटा जलने,मरने आ फटने का बारी विरोधी सब का है. आफरीदी, जयसूर्या, गिलक्रिस्ट और तमाम बिग हिटर, जिनके बैटिंग से बॉलर से ज्यादा हम डरते थे उनके बड़े पपा 69 गेंद में सेंचुरी बना के पैदा हो चुके थे.
2001 में जब अपना टीम अफ्रीका गया तो पहिला टेस्ट में पांच बैट्समैन टीम को 'भगवान' भरोसे छोड़ चुके थे. तब भगवान का साथ देने हनुमान जी खुदे आ गये. फिर स्लिप के ऊपर से कट, कवर मेें बैकफुट से किया गया पंच और हवा मेें उछलकर बैकफुट से किये फ्लिक का जो दौर शुरू हुआ वो थमा ही नहीं. पहले टेस्ट में सेंचुरी लगा के दुनिया को बताया गया कि अब सिर्फ भगवान ही नहीं उनका क्लोन भी टेस्ट मैच इंडिये के तरफ से खेलेगा.
courtesy- wsj.net |
टेस्ट मैच के पहिला दिन पहिले ओवर से थर्ड मैन आ डीप प्वाइंट लगने लगा..स्पिनर विकेट लेना छोड़कर रन बचाने में लग गये.. टेस्ट मैच हाऊस फुल जाने लगा.. एक दिन में तीन साढे तीन सौ रन बनने लगा.. स्लिप के ऊपर से छक्का जाने लगा.. लंच तक पचास, चाय तक सेंचुरी और स्टंप्स तक दू सौ.. साला दिल्ली के रिक्शा मीटर से तेज रन टेस्ट में बनने लगा. बॉलर जेतना घूरता और गरियाता था ओतना और कुटाता था.. साले उ डेढ़ सौ के स्पीड से फेंकता था तो कवर और प्वाइंट के बीच से दू सौ के स्पीड से बाउंड्री जाता था. ऑफिस, स्कूल, कॉलेज में लोग 'सेहवाग का बैटिंग देख के' जाने लगे. फुटवर्क हो तो साढ़े पांच फुट का आदमी क्या कर सकता है ये सचिन बता चुके थे लेकिन बिना फुटवर्क के साढ़े पांच फिट का आदमी क्या क्या कर सकता है, ये अब पता चल रहा था.
courtesy- livemint.com |
वन डे, टी ट्वेंटी ठीक है पर असली क्रिकेट और असस्ल क्रिकेटर क्या है ये किसी टेस्ट क्रिकेट के प्रेमी से पूछिये. अपना बेखौफ और लापरवाह बैटिंग से टेस्ट क्रिकेट में पब्लिक को वापस खींच के ले आए. ब्लोफेंमटन से शुरू हुआ मार कुटाई एडिलेड से होते हुए जब मुल्तान आया तो आतंक मे बदल चुका था. लगातार ग्यारह अइसन सेंचुरी जो डेढ़ सौ के ऊपर हो, ऊ ब्रैडमैन साहेब ही बनाए थे इनसे पहले. फास्टेस्ट दस डबल सेंचुरी में पांच बार इसका ही नाम है, बताइए .अगर किसी टेस्ट में किसी बैट्समैन ने दुन्नो पारी में सेंचुरी बनाया हो, उसी मैच में क्रिकेट के महानतम खिलाडी़ ने नाबाद सेंचुरी बनाई और जीत तक ले गए लेकिन मैन ऑफ द मैच इनको मिले जिसने 68 गेंदो मे 83 रन बनाए हो तो खेलपर बंदे का क्या छाप होगा समझा जा सकता है . बांकी रिकार्ड ऊकार्ड बनता रहेगा, टूटता रहेगा पर जो कनेक्शन इनका हमलोगों और टेस्ट क्रिकेट के चाहनेवालों से जुडा़ है ऊ फेर किसी से जुड़ना बहुत मुश्किल हैं. आखिरकार दुनिया को इहे बताए न कि जब बॉल मारने लायक हो तो मारना चाहिए और जब बॉल मारने लायक ना हो तब भी मारना चाहिए.
Story Writing and post editing by- Amit Thakur And Ignored Post Team...
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