Monday, December 14, 2015

व्यंग्य: हनी सिंह और फैमिनिज़्म

Yo yo honey singh
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अक्सर भारतीय संगीत में क्रांतिकारी परिवर्तन लाने वाले गायक हनी सिंह पर महिला विरोधी गीत गाने के आरोप लगते रहते हैं, पर सच्चाई इसके बिल्कुल उलट है. कैसे? हमारे समाज में 'गोरे रंग' को लेकर कितना ओबसैशन है, किसी से छि4पा नही है। उसकी छाप बॉलीवुड फिल्मों में भी "गोरी हैं कलाइयाँ" से लेकर " चिट्टियाँ कलाइयाँ वे" जैसे गोरे रंग का बेतहाशा महिमामॅंडन करते गानों में साफ दिखाई पड़ती है. या फिर नोन फिल्मी गानों में भी- "चाँदी जैसा रंग है तेरा, सोने जैसे बाल"..अब किसी का रंग चाँदी की जगह चॉकलेट जैसा हो तो? उन्हें रिझाने के लिए उनके मजनू क्या गाना गाएँ?  गोरे रंग की इसी डिमांड को भुनाते हुए दसियों फेयरनैस क्रीमें भी हर साल देश की महिलाओं (अब तो मर्दों को भी) को करोड़ों का चूना लगाती आ रही हैं. इसी बीच साँवले/भूरे रंग के प्रति इस भेदभाव पर प्रहार करते हुए हनी सिंह जी ने ये सुंदर गीत निकाला: "कुड़िये ने तेरे 'ब्राउन' रंग ने मुंडे पटते नि सारे मेरे टाउन दे"..तो उन्होने सभी साँवली लड़कियों का हौंसला बढ़ाया कि तुम लोग की सूरत पे भी लड़के फिदा हो सकते हैं..वो भी सिर्फ एक आध नही, शहर के सारे के सारे! आगे सुनिए- "कोई काम उत्ते जावे ना, रोटी पानी खावे ना...गोरी गोरी कुड़ियाँ नु दिल नु लावे ना"...मतलब उस लड़की के साँवले रंग से अभिभूत होके उन्हें अपनी नौकरी/धंधे और खाने-पीने की भी सुध नही! हालत ये है कि गोरी लड़कियों को तो कोई भाव ही नही दे रहा! साँवली लड़कियों का मनोबल इस कद्र बढ़ाना भारतीय संगीत के इतिहास में एक अभूतपूर्व कदम ही तो था!
गौरे रंग के बाद दूसरी जिस बड़ी अपेक्षा का महिलाओं को सामना करना पड़ता है,वो है हद से ज्यादा पतला होना. बॉलीवुड फिल्मों द्वारा 'बिल्कुल स्कीनी/ज़ीरो फिगर’ जैसे सुंदरता के ऐसे मापदंड स्थापित कर दिए गये हैं जिन्हें अचीव करना हर लड़की के बस की बात नही. उसी मान्यता पर चोट करते हुए हनी सिंह एक दूसरे गाने में एक किस्से का जिक्र करते हुए बताते हैं- "हुन मोटी दा व्याह हो गया, तू रह गयी कुँवारी, डाइटिंग करके हो गयी माड़ी!" अर्थात साथ वाली ओवरवेट लड़की को तो शादी के लिए योग्य वर मिल गया। जबकि स्लिम लड़की कुँवारी ही रह गयी..डाइटिंग करके लेने के देने पड़ गये!
दोनो उदाहरणों से ये साबित होता है महिलाओं को "खुशी-खुशी स्वयं को स्वीकार करने" की प्रेरणा हनी सिंह जी से ज़्यादा और किसी गायक से नही मिली. और हनी सिंह ग्रैमी अवार्ड से पहले इस मुहिम के लिए नोबेल प्राइज के हकदार बताये जाएँ तो कोई अतिशयोक्ति नही होगी।

- Kunal Sethi 

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